25 October, 2017

अनोखी

अब जब में डरे बिना 
तुमसे प्यार नहीं कर पाती 
क्या में अनोखी हूँ ?

तुम्हारे तूफानी आंसू हर रात 
में अपने हातोंसे मिटाती हूँ 
क्या मेरा भाव अनोखा है?

उन्होंने जब मुझे वहां छुआ 
जहां प्रेमी छूते है, मैने सोचा 
क्या यह प्यार अनोखा है?

साल बीत गए है फिर भी 
वह यादें मेरे बदन में गुप्त है 
क्या यह कहानी अनोखी है?

कल में तुम्हारे रागसे अलग होकर 
राह पर मुडकर अपने आपसे पूछूँगी 
क्या मेरी ज़िन्दगी अनोखी है?